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इंटेलेक्चुअल डिसेबिलिटी (आईडी) क्या है?

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Nayi Disha Team

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Key Takeaways:

1. बौद्धिक विकलांगता (ID) से सीखने, बात करने और रोज़मर्रा के कामों में परेशानी होती है।
2. यह 5 से 18 साल की उम्र में शुरू हो सकती है और असर अलग-अलग हो सकता है।
3. मदद और थेरेपी से बच्चे खुद पर निर्भर होना सीख सकते हैं।
4. परिवार की मदद बच्चे के विकास में बहुत ज़रूरी है।
5. मदद के लिए सलाह और ज़रूरी साधन मिल सकते हैं।

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बौद्धिक विकलांगता (ID) क्या है? 

क्या आपके बच्चे को या किसी जानने वाले को बौद्धिक विकलांगता (ID) के बारे में बताया गया है? अगर हाँ, तो यह सुनकर आपको चिंता या उलझन महसूस हो सकती है। हो सकता है आप यह शब्द पहली बार सुन रहे हों या थोड़ा-बहुत जानते हों। यह आसान जानकारी आपको मदद करने के लिए है।

बौद्धिक विकलांगता (ID) क्या होती है?

बौद्धिक विकलांगता (जिसे पहले मानसिक मंदता कहा जाता था, लेकिन अब वह शब्द इस्तेमाल नहीं होता) एक ऐसी स्थिति है जो बच्चे के दिमागी विकास से जुड़ी होती है। यह आमतौर पर 5 से 18 साल की उम्र के बीच शुरू होती है। इसमें बच्चे को पढ़ने-लिखने, दूसरों से बात करने, समझने और रोज़ के काम करने में परेशानी हो सकती है। लेकिन अगर समय पर सही मदद मिले, ज़रूरी साधन मिलें और परिवार साथ दे, तो ऐसा बच्चा भी बहुत कुछ सीख सकता है, आगे बढ़ सकता है और एक अच्छा जीवन जी सकता है।

बौद्धिक विकलांगता (ID) के शुरुआती लक्षण 

बौद्धिक विकलांगता (ID) के शुरुआती लक्षण बच्चे की उम्र और विकास के हिसाब से अलग हो सकते हैं। कुछ सामान्य लक्षण जो माता-पिता या टीचर पहचान सकते हैं:

  • बच्चे का देर से चलना, बोलना या टॉयलेट ट्रेनिंग में देर होना
  • चीज़ें समझने या आसान बातों को समझने में परेशानी
  • बोलने या दूसरों से बात करने में मुश्किल
  • खाना खाना, कपड़े पहनना या रोज़ का काम सीखने में ज़्यादा समय लगना
  • दूसरे बच्चों से खेलने या नई जगहों पर अपने भावनाओं को संभालने में परेशानी

याद रखें: हर बच्चा अपने हिसाब से बढ़ता है। अगर आपको लगता है कि बच्चे को कई चीज़ों में बार-बार परेशानी हो रही है, तो किसी बाल रोग विशेषज्ञ या चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट से सलाह लेना अच्छा रहेगा।

बौद्धिक विकलांगता (ID) क्यों होती है? 

बौद्धिक विकलांगता (ID) की कोई एक वजह नहीं होती। कई बार इसका कारण पता नहीं चल पाता। लेकिन कुछ संभव कारण ये हो सकते हैं:

  • जन्म से जुड़ी जेनेटिक समस्याएं, जैसे डाउन सिंड्रोम या फ्रैजाइल एक्स सिंड्रोम
  • माँ के गर्भ में या जन्म के समय कोई दिक्कत (जैसे जन्म के समय ऑक्सीजन की कमी)
  • बचपन में कोई गंभीर बीमारी या इंफेक्शन
  • सिर पर चोट लगना या सीसे (lead) जैसे ज़हरीले पदार्थों के संपर्क में आना

याद रखें:
बौद्धिक विकलांगता बच्चे की परवरिश, प्यार की कमी, या माता-पिता की गलती से नहीं होती। यह दिमाग से जुड़ी एक स्थिति है, जिसे समझने और सहयोग देने की ज़रूरत होती है, न कि किसी पर दोष देने की।

बौद्धिक विकलांगता की पहचान कैसे होती है?

इसका पता लगाने के लिए कुछ विशेष जांचें की जाती हैं, जैसे:

  • विकास की जांच (Developmental assessments): देखा जाता है कि बच्चा चलना, बोलना, भावनाएं समझना, और सामाजिक व्यवहार में कैसा कर रहा है।
  • IQ टेस्ट: दिमागी क्षमता का माप लिया जाता है (लेकिन सिर्फ एक टेस्ट से बच्चे की कीमत या क्षमता तय नहीं होती)।
  • एडैप्टिव बिहेवियर की जांच: यह देखा जाता है कि बच्चा रोज़मर्रा के काम जैसे बात करना, खुद की देखभाल करना और नियमों को कितना समझता है।

ये जांचें बाल रोग विशेषज्ञ, साइकोलॉजिस्ट या स्पेशल एजुकेशन एक्सपर्ट द्वारा की जाती हैं।

जल्दी पहचान क्यों ज़रूरी है?

अगर बच्चे की परेशानी जल्दी पहचान ली जाए, तो समय पर मदद मिल सकती है। इससे:

  • बच्चा अपनी गति से ज़रूरी काम (जैसे कपड़े पहनना, खाना खाना) सीख सकता है
  • माता-पिता और टीचर को बच्चे को समझने और सही तरीके से सपोर्ट करने में मदद मिलती है
  • बच्चे को खुद पर भरोसा करने में मदद मिलती है और अकेलापन कम होता है
  • स्कूल और समाज में उसे उसकी ज़रूरत के अनुसार मदद दी जा सकती है
  • परिवार बच्चे के लिए एक मजबूत सपोर्ट सिस्टम बना सकता है और उसकी सही तरह से मदद कर सकता है

जल्दी मदद देना बच्चे को “नाम” देने के लिए नहीं होता, बल्कि उसे समझने और उसके साथ प्यार और समझदारी से आगे बढ़ने का तरीका होता है।

बौद्धिक विकलांगता किन बातों को प्रभावित करती है? 

बौद्धिक विकलांगता (ID) बच्चे की ज़िंदगी के कई हिस्सों को प्रभावित कर सकती है। इनमें शामिल हैं:

  • सोचने और समझने की क्षमता: नई चीज़ें सीखना, याद रखना, और सोच कर जवाब देना
  • भाषा और बातचीत: दूसरों की बात समझना और अपनी ज़रूरतें और भावनाएं बताना
  • सामाजिक और भावनात्मक क्षमता: दोस्त बनाना, भावनाओं को संभालना, और सामाजिक नियमों को समझना
  • रोज़मर्रा के काम: जैसे कपड़े पहनना, खाना खाना, साफ-सफाई करना, और दिनचर्या का पालन करना

इन मुश्किलों के साथ-साथ, कई बच्चों में कुछ बहुत प्यारी और खास बातें भी होती हैं — जैसे दयालुता, रचनात्मक सोच, मेहनत, हँसी-मज़ाक, या अपने पसंदीदा लोगों से गहराई से जुड़ना।

ID की पहचान होने से बच्चा नहीं बदलता — यह बस आपको उसके नजरिए को बेहतर ढंग से समझने में मदद करता है। और जब आप समझते हैं, तो आप ज़्यादा आत्मविश्वास और प्यार से मदद कर पाते हैं।

हर बच्चा अलग तरीके से सीखता है

ID का मतलब ये नहीं कि बच्चा कुछ नहीं सीख सकता — इसका मतलब सिर्फ यह है कि वह अलग तरीके से और अलग समय में सीखता है। अगर उसे समय, सहयोग और सही तरीका मिले, तो वह बहुत कुछ सीख सकता है।

छोटी-छोटी सफलताओं को मनाइए। बच्चे की हर छोटी प्रगति उसकी तरक्की का संकेत है। उसके हुनर, पसंद और खुशियों पर ध्यान दीजिए — चाहे वो म्यूज़िक हो, नाचना, चित्र बनाना, या रोज़मर्रा की दिनचर्या।

ID वाले बच्चे की परवरिश में चुनौतियाँ ज़रूर होती हैं, लेकिन इसके साथ-साथ आपको बहुत सारे प्यारे पल, गहराई से समझने का मौका और हिम्मत भी मिलती है। आप अकेले नहीं हैं। सही जानकारी और लोगों के सहयोग से आप और आपका बच्चा एक खुशहाल और मज़बूत जीवन जी सकते हैं।

विशेष धन्यवाद:

हम Dr. Sana Smriti, न्यूरो-डेवलपमेंटल पीडियाट्रिशियन को इस जानकारीपूर्ण गाइड में विशेषज्ञ सलाह देने के लिए धन्यवाद देते हैं।

हम परिवारों से अनुरोध करते हैं कि वे इस ID फैक्टशीट को ज़रूर पढ़ें, जिसमें शुरुआती लक्षण, मदद के तरीके, थेरेपी, और बच्चे की देखभाल से जुड़ी ज़रूरी बातें दी गई हैं।

अगर आपको ऑटिज़्म, डाउन सिंड्रोम, ADHD या अन्य बौद्धिक समस्याओं के बारे में जानना है, या किसी बच्चे में विकास से जुड़ी देरी को लेकर चिंता है, तो नयी दिशा की टीम आपकी मदद के लिए तैयार है।

हमारा फ्री हेल्पलाइन नंबर है: 844-844-8996
आप कॉल या WhatsApp कर सकते हैं। हमारे काउंसलर हिंदी, इंग्लिश, मलयालम, गुजराती, मराठी, तेलुगु और बंगाली बोलते हैं।

डिस्क्लेमर: यह गाइड जानकारी और जागरूकता फैलाने के लिए है। यह कोई मेडिकल जांच या इलाज नहीं है। कृपया सही सलाह के लिए किसी योग्य डॉक्टर या विशेषज्ञ से संपर्क करें।

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